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संघर्ष से सेवा तक: दीपेश झा ने मां की स्मृति में खड़ी की "ममता वेलफेयर ट्रस्ट"

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मोहम्मद आलम
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गांव में 24 घंटे एम्बुलेंस सेवा और बच्चों की शिक्षा के लिए समर्पित
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रोसड़ा (समस्तीपुर):कहते हैं असली नायक वही होता है, जो अपने दुख को समाज के लिए उम्मीद की रोशनी बना दे। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है रोसड़ा प्रखंड के सोनूपुर गांव निवासी दीपेश झा ने। एक साधारण परिवार से निकलकर ट्यूशन पढ़ाकर अपनी पढ़ाई पूरी करने वाले दीपेश आज नेविगेशन ऑफिसर हैं, लेकिन असली पहचान उन्हें मिली है समाजसेवा से।

मां की पीड़ा बनी प्रेरणा

कुछ साल पहले उनकी मां का निधन समय पर एम्बुलेंस न मिलने की वजह से हो गया। इस गहरे आघात को उन्होंने अपनी ताकत बनाया। मां की स्मृति में उन्होंने “ममता वेलफेयर ट्रस्ट” की स्थापना की। आज यह ट्रस्ट गांव और आसपास के इलाकों में 24 घंटे मुफ्त एम्बुलेंस सेवा उपलब्ध कराता है।

शिक्षा के लिए नई राह

सिर्फ स्वास्थ्य ही नहीं, दीपेश झा ने शिक्षा के क्षेत्र में भी सराहनीय कदम उठाया है। शिशु विद्या मंदिर के माध्यम से वे बच्चों को पढ़ाई के प्रति जागरूक कर रहे हैं। उनका मानना है कि समाज का भविष्य बच्चों की पढ़ाई-लिखाई से ही संवर सकता है।

सरकार ने भी सराहा

बिहार सरकार के पर्यटन विभाग ने उनकी इस नेक पहल और निरंतर सेवा को देखते हुए उन्हें सम्मानित किया है। यह न सिर्फ उनके लिए, बल्कि पूरे इलाके के लिए गर्व की बात है।

गांव लौटते ही बन जाते हैं सेवक

जब भी दीपेश झा शिप से छुट्टी लेकर गांव लौटते हैं, तो पूरी ऊर्जा के साथ समाज और गांव की सेवा में जुट जाते हैं। लोगों का कहना है कि “दीपेश जी जैसे लोग ही असली प्रेरणा हैं, जो अपने निजी दुख को समाज की ताकत बना देते हैं।”

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